गरीबों की खाद्य सुरक्षा का लक्ष्य कठिन
सहस्त्राब्दी विकास लक्ष्यों में एक सबसे ब़ड़ा लक्ष्य 2015 तक गरीबी मिटाना है, लेकिन भारत में गरीबी कम होने के बजाय लगातार ब़ढ़ रही है। गाँवों में 80 फीसदी और शहरों में 79 फीसदी लोगों को पौष्टिक आहार नहीं मिल रहा है। देश में 10 फीसदी आबादी प्रतिमाह महज 10 किलोग्राम अनाज का उपभोग करती है। इन संकेतकों को देखते हुए केन्द्र सरकार द्वारा बनाई गई कमेटी ने देश की 50 प्रतिशत आबादी को बीपीएल (गरीबी रेखा से नीचे) घोषित करने की अनुशंसा की है।
देश में बीपीएल परिवारों का निर्धारण योजना आयोग द्वारा किया जाता है। यह सर्वे हर पाँच साल बाद राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण (एनएसएसओ) की ओर से उपभोक्ता के खर्च का आधार पर किया जाता है। जहाँ गरीबी का आकलन योजना आयोग करता है वहीं गरीब परिवारों की संख्या की गणना केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय करता है। केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने 2008 में एक विशेषज्ञ समिति बनाई ताकि ग्रामीण क्षेत्रों में गरीब परिवारों की संख्या का ज्यादा सटीक आकलन हो सके। इस समिति का मानना है कि भारत में गरीबों की संख्या आधिकारिक आँक़ड़े 28.3 प्रतिशत की तुलना में कहीं ज्यादा है। समिति ने अनुशंसा की है कि बीपीएल के दायरे में आने वाले परिवारों की संख्या का िफर से निर्धारण हो और कम से कम 50 फीसदी आबादी को बीपीएल घोषित किया जाए। समिति का कहना है कि यदि यह आकलन कैलोरी के उपभोग के आधार होगा तो गरीबों की संख्या 80 प्रतिशत होगी। समिति ने कहा है कि केन्द्र सरकार बहुत सी योजनाओं का फायदा बीपीएल कार्ड होने पर मिलता है। अत: केन्द्र सरकार को यह घोषणा जल्दी कर देना चाहिए। अगर सरकार इस अनुशंसा को मान लेती है तो मध्यप्रदेश में गरीबों की संख्या 37.67 प्रतिशत से ब़ढ़ कर 66.55 प्रतिशत और छत्तीसग़ढ़ में 41.41 से ब़ढ़ कर 73.16 प्रतिशत हो जाएगा। विकसित समझे जाने वाले राज्य गुजरात में गरीबों की संख्या 19.46 फीसदी से ब़ढ़ कर 34.38 प्रतिशत हो जाएगी। गौरतलब है कि सहस्त्राब्दी लक्ष्यों के अनुसार हमें 1990 में कम कैलोरी का उपभोग कर रहे लोगों की संख्या 62.2 फीसदी से घटा कर 2015 में 31.1 फीसदी तक लाना है।
80 फीसदी आबादी पोषण से दूर
ग्रामीण क्षेत्रों में 2400 और शहरों में 2100 किलो कैलोरी उपभोग का मानक तय किया गया है। गाँव हो या शहर कैलोरी उपभोग लगातार घट रहा है। देश की तीन तिहाई से भी ज्यादा आबादी प्रति व्यक्ति कैलोरी उपभोग के मानक से कम का उपयोग कर रही है। 1983 में 66.1 फीसदी ग्रामीण और 60.7 फीसदी शहरी आबादी मानक से कम कैलोरी का उपभोग कर रही थी। 2008 में जारी आँक़ड़ों के मुताबिक 2004-05 में गाँवों में 79.8 और शहरों में 63.9 प्रतिशत आबादी को पर्याप्त कैलोरी वाला भोजन नहीं मिल रहा है। गौरतलब है कि अक्टूबर 2008 में जारी एनएसएसओ के आँक़ड़ों के मुताबिक 30 सालों में गरीबों के अनाज उपयोग में भारी कमी आई है। 10 प्रतिशत आबादी हर महीने महज 10 किलो और 30 फीसदी आबादी को 12 किलो अनाज के सहारे बसर करती है।