किसने कहा कि
विस्फोट के लिए
चाहिए बारूद,
घर जलाने के लिए
चाहिए तीलियां।
घर हो या सपने
पल में ध्वस्त होते हैं।
क्षण में छिनता है आशियाना
बिना पेट्रोल धधकता है शहर।
कविता में जो मरहम है
आपके मुंह से निकलने
पर वही शब्द दे जाते हैं घाव।
नेताजी, आग उगलते
शब्दों से लाख दर्जा अच्छे
हैं आपके झूठे आश्वासन।