
कर दिया है, उनकी पारियां इतिहास और हमारी यादों का हिस्सा होंगी। वेस्टइंडीज के खिलाफ टेस्ट सीरीज में अपना 200 वां टेस्ट मैच खेलकर सचिन संन्यास लेंगे। यह टेस्ट मैच 14 नवंबर से मुंबई में खेला जाना है। असल अपने दो दशक से भी ज्यादा लंबे क्रिकेट कॅरियर के दौरान सचिन क्रिकेट का पर्याय बन गए हैं। 1989 में 16 साल की उम्र में जब सचिन तेंदुलकर ने पाकिस्तान के खिलाफ अपने क्रिकेट कॅरियर की शुरूआत की थी तब बहुत कम लोगों को यह अहसास होगा कि जब यह खिलाड़ी अपना बल्ला रखेगा तो रिकार्ड्स की एक पूरी बुक उसके नाम होगी। इस आरोपों पर बहस हो सकती है कि सचिन केवल 200 मैचों का आंकड़ा पूरा करने के लिए टीम पर भार बने रहे और वे केवल रिकार्ड्स के लिए खेले लेकिन यह निर्विवाद तथ्य है कि सचिन का क्रिकेट देखते हुए एक पीढ़ी जवान हुई है और लाखों लोगों का क्रिकेट प्रेम केवल और केवल सचिन तक सीमित रहा है। सचिन उस दौर में मैदान में उतरे थे जब टीवी घर-घर में पहुंच रहा था और उन्होंने अपने करोड़ों प्रशंसकों को क्रिकेट मैच देखने की वजह दी। उनके लिए सचिन की पारी खत्म होने के बाद क्रिकेट का महत्व घट जाता था। सचिन आउट तो जैसे क्रिकेट उनके दिमाग से आउट। तभी तो सचिन को कई बार अपने प्रशंसकों की नाराजी झेलना पड़ी। उनके लंबे कॅरियर में कई ऐसे पल आए, जब वे वांछित प्रदर्शन नहीं कर सके लेकिन इस निराशा से उबर कर जब वे मैदान पर आए तो एक नया रिकार्ड बना कर ही पैवेलियन लौटे। यह सचिन के व्यक्तित्व की विशेषता रही कि उन्होंने अपनी या टीम की आलोचना का जवाब बोल कर नहीं हमेशा बल्ले और अपने