Monday, September 19, 2011

तब क्या करते कविगण

अगर चाँद मर जाता

झर जाते तारे सब

क्या करते कविगण तब?

 
खोजते सौन्दर्य नया

देखते क्या दुनिया को

रहते क्या, रहते हैं

जैसे मनुष्य सब

क्या करते कविगण तब?

 
प्रेमियों का नया मान

उनका तन-मन होता

अथवा टकराते रहते वे सदा

चाँद से, तारों से, चातक से, चकोर से

कमल से, सागर से, सरिता से

सबसे

क्या करते कविगण तब?

 
आँसुओं में बूड़-बूड़

साँसों में उड़-उड़कर

मनमानी कर- धर के

क्या करते कविगण तब?

 
अगर चाँद मर जाता

झर जाते तारे सब

क्या करते कविगण तब?
- त्रिलोचन