शहर के राजनीतिक और प्रशासनिक गलियारों में सोमवार को दो वाक्य चर्चा में बने रहे। एक वाक्य भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह का है। शाह ने भाजपा पदाधिकारियों की बैठक में कहा कि अपने बिगड़े बच्चे का जिक्र बाहर क्यों करना? दूसरा वाक्य, सीबीआई के जाइंट डायरेक्टर आरपी अग्रवाल का है। व्यापमं मामले की जांच कर रही सीबीआई टीम के प्रमुख अग्रवाल ने कहा कि व्यापमं मामले में सीबीआई देश को निराश नहीं करेगी। अग्रवाल की ख्याति राजस्थान के मशहूर भंवरी देवी केस की जांच को लेकर है। जाहिर है, अमित शाह और सीबीआई के जाइंट डायरेक्टर अग्रवाल के एक-एक वाक्य ने ही चर्चाओं को आकाश दे दिया है।
गुजरात चेस एसोसिएशन के अध्यक्ष रहे भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष
अमित शाह राजनीति भी शतरंज की ही तरह करते हैं। वे चाहे ‘राजा’ के साथ रहें या ‘प्यादे’ के बीच हों; उनके मनोभावों को आसानी से नहीं पढ़ा जा सकता। ऐसे ही मुहावरों में बात करने के उनके अंदाज को ठीक-ठीक एक ही अर्थ लगा पाना संभव नहीं होता है। उनकी एक ही बात में ‘शह’ भी होती है और ‘मात’ भी। ऐसा ही हुआ जब भोपाल में भाजपा पदाधिकारियों के बीच शाह ने कहा कि बच्चा अगर कमजोर है तो इसका जिक्र बाहर नहीं करना चाहिए। बात तो उन्होंने संगठन के संदर्भ में कही थी लेकिन इसे व्यापमं से जोड़ कर भी देखा गया। इशारों-इशारों में दिल की बात कहने वाले शाह के इस एक वाक्य ने बिना बोले कई संदेश दे दिए। एक तो साफ था कि भाजपा नेताओं को कांग्रेस के ‘दुष्प्रचार’ के खिलाफ जुट जाना चाहिए।
व्यापमं घोटाले के साये में यह संयोग ही था कि भाजपा के राष्ट्रीय मुखिया शाह भी मप्र और छत्तीसगढ़ के महाजनसम्पर्क अभियान की समीक्षा करने के लिए शहर में थे और इसी दिन सीबीआई की टीम भी मामले की जांच के लिए पहली बार भोपाल पहुंची। पूरा मीडिया इस कोशिश में जुटा था व्यापमं मामले पर शाह से चर्चा हो जाए तो दूसरी तरफ नेताओं के मन में भी कई सवाल थे। उन्हें महाजनसम्पर्क अभियान में जनता के बीच जाना है। स्वाभाविक है, वहां व्यापमं को लेकर सवाल होंगे। शाह इस बात को जानते थे। तभी उन्होंने अपने उद्घाटन वक्तव्य में बगैर व्यापमं का उल्लेख किए साफ कर दिया है कि संगठन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ है। उन्होनें हिदायत दी कि अपनी कमजोरी घर में बताना चाहिए, बाहर चर्चा नहीं करनी चाहिए। यह संदेश उन नेताओं के लिए था जो अकसर ही सत्ता और संगठन से अपनी नाराजगी सार्वजनिक तौर पर जताते रहते हैं। शाह ने स्पष्ट कर दिया कि सत्ता पक्ष में होने से हमें अपना आचरण और व्यवहार भी उसके अनुरूप रखना चाहिए।
गुजरात चेस एसोसिएशन के अध्यक्ष रहे भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष
अमित शाह राजनीति भी शतरंज की ही तरह करते हैं। वे चाहे ‘राजा’ के साथ रहें या ‘प्यादे’ के बीच हों; उनके मनोभावों को आसानी से नहीं पढ़ा जा सकता। ऐसे ही मुहावरों में बात करने के उनके अंदाज को ठीक-ठीक एक ही अर्थ लगा पाना संभव नहीं होता है। उनकी एक ही बात में ‘शह’ भी होती है और ‘मात’ भी। ऐसा ही हुआ जब भोपाल में भाजपा पदाधिकारियों के बीच शाह ने कहा कि बच्चा अगर कमजोर है तो इसका जिक्र बाहर नहीं करना चाहिए। बात तो उन्होंने संगठन के संदर्भ में कही थी लेकिन इसे व्यापमं से जोड़ कर भी देखा गया। इशारों-इशारों में दिल की बात कहने वाले शाह के इस एक वाक्य ने बिना बोले कई संदेश दे दिए। एक तो साफ था कि भाजपा नेताओं को कांग्रेस के ‘दुष्प्रचार’ के खिलाफ जुट जाना चाहिए।
व्यापमं घोटाले के साये में यह संयोग ही था कि भाजपा के राष्ट्रीय मुखिया शाह भी मप्र और छत्तीसगढ़ के महाजनसम्पर्क अभियान की समीक्षा करने के लिए शहर में थे और इसी दिन सीबीआई की टीम भी मामले की जांच के लिए पहली बार भोपाल पहुंची। पूरा मीडिया इस कोशिश में जुटा था व्यापमं मामले पर शाह से चर्चा हो जाए तो दूसरी तरफ नेताओं के मन में भी कई सवाल थे। उन्हें महाजनसम्पर्क अभियान में जनता के बीच जाना है। स्वाभाविक है, वहां व्यापमं को लेकर सवाल होंगे। शाह इस बात को जानते थे। तभी उन्होंने अपने उद्घाटन वक्तव्य में बगैर व्यापमं का उल्लेख किए साफ कर दिया है कि संगठन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ है। उन्होनें हिदायत दी कि अपनी कमजोरी घर में बताना चाहिए, बाहर चर्चा नहीं करनी चाहिए। यह संदेश उन नेताओं के लिए था जो अकसर ही सत्ता और संगठन से अपनी नाराजगी सार्वजनिक तौर पर जताते रहते हैं। शाह ने स्पष्ट कर दिया कि सत्ता पक्ष में होने से हमें अपना आचरण और व्यवहार भी उसके अनुरूप रखना चाहिए।