ज्योतिषी ने बाँच कर कुण्डली
बताया है, वक्त बुरा है।
ठीक नहीं है ग्रहों की चाल
अभी और गहराएगा संकट।
फले-फूलेगा भ्रष्टाचार
अपराध बढ़ेंगे
पाखण्ड का बोलबाला होगा
चालाकी होगी सफल
झूठ आगे रहेगा सच के
अच्छाई की राह में
अभी और काँटे हैं।
पंछी से आकाश और होगा दूर
खिलने से ज्यादा मुश्किल होगा
फूल का शाख पर टिके रहना।
नदियों में नहीं होगा पानी
हवा में घुलेगा जहर।
बच्चों को नहीं मिलेगा समय
कि तैरा पाएँ कागज की कश्ती
वे कहानियों की जगह
गुनेंगे सामान्य ज्ञान।
बाहर तो बाहर
घर में भी महफूज
नहीं रहेंगी बच्चियाँ।
बुजुर्गों का इम्तिहान
और कड़ा होगा।
बुरे वक्त में चाहें अनुष्ठान न करवाना
दान-धर्म न हो तो
कोई बात नहीं
हो सके तो बचाना
अपने भीतर सपने
भले ही हों वे
आटे में नमक जितने।
मुश्किल घड़ी में जीना
सपनों के आसपास।
देखना फिर नक्षत्र बदलेंगे
बदलेगी ग्रहों की चाल।
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नव वर्ष पर शुभकामनाएँ