जाते-जाते खुद का भला कर गया ट्रस्ट
सीएस और पीएस के विरोध को किया दरकिनार
भोपाल मेमोरियल ट्रस्ट जाते-जाते भी खुद का भला कर गया। अस्पताल में ट्रस्ट के सदस्यों का उपचार बिल्कुल निशुल्क होगा। इलाज का सारा खर्च गैस पीड़ितों के उपचार के मिली राशि से किया जाएगा। ट्रस्ट ने यह स्वात: सुखाय फैसला पिछले दिनों हुई बैठक में ले लिया। जबकि प्रदेश के मुख्य सचिव और प्रमुख सचिव ने इस प्रस्ताव को कड़ा विरोध करते हुए इसे फिजूलखर्ची करार दिया था।
'द भोपाल मेमोरियल हॉस्पिटल ट्रस्ट" ने यह फैसला मार्च में उस वक्त लिया था, जब गैस त्रासदी के दोषियों के मामले की सुनवाई अंतिम चरण में थी। भोपाल गैसकांड के आरोपियों पर से धारा 304 'ए" हटाने के लिए गैस पीड़ितों की नाराजगी झेल रहे सुप्रीम कोर्ट के सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व प्रधान न्यायाधीश जस्टिस एएम अहमदी की अध्यक्षता में यह निर्णय लिया गया। हाँलाकि इस पद से इस्तीफे की उनकी पेशकश को लगभग नौ माह बीत चुके थे। ट्रस्ट की अंतिम बैठक नई दिल्ली में हुई थी। इस बैठक में यह प्रस्ताव रखा गया कि ट्रस्टियों को भोपाल मेमोरियल हॉस्पिटल में मुफ्त इलाज की सुविधा प्रदान की जाए। इस इलाज का सारा खर्च गैस पीड़ितों के इलाज के लिए मिली राशि से दिया जाएगा। बैठक में मुख्य सचिव अवनि वैश्य और प्रमुख सचिव स्वास्थ्य एसआर मोहंती शामिल नहीं हुए थे। जब बैठक का पत्र उनके पास अनुमोदन के लिए पहुँचा तो दोनों ने यह कहते हुए प्रस्ताव का विरोध किया कि यह गैस पीड़ितों के पैसों की बर्बादी है। ट्रस्ट सदस्य अपने इलाज का खर्च खुद उठाने में सक्षम हैं। इन आला अफसरों के विरोध के बावजूद यह प्रस्ताव बहुमत के आध्ाार पर पारित कर दिया गया। इस बारे में जब ट्रस्टी सुश्री के. अरोन्देकर से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि वे इस बैठक में शामिल ही नहीं हुई थी, जबकि वर्किंग ट्रस्टी अधिवक्ता अजीज अहमद सिद्दीकी के नईदिल्ली में होने से उनसे सम्पर्क नहीं हो सका।
ट्रस्ट के फैसलों की समीक्षा हो
ट्रस्ट के इस फैसले से भी गैस पीड़ित संगठनों में नाराजी है। भोपाल ग्रुप फॉर इंफर्मेशन एंड एक्शन की रचना ढींगरा और गैस पीड़ित संघर्ष सहयोग समिति की साधना कर्णिक ने माँग की है कि नए निजाम में ट्रस्ट द्वारा लिए गए निर्णयों की पुर्नसमीक्षा होना चाहिए। उनका आरोप है कि पिछले कई दिनों से भोपाल मेमोरियल हॉस्पिटल में गैस पीड़ितों के इलाज में लापरवाही हो रही है। बाहरी मरीजों को तवज्जो दी जा रही है, क्योंकि उससे ट्रस्ट को पैसा मिलता है। जबकि इस अस्पताल का निर्माण केवल गैस पीडितों के इलाज के लिए ही कराया गया था।
दस साल पहले शुरु हुआ था अस्पताल
गौरतलब है कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद यूनियन कार्बाइड कार्पोरेशन ने लंदन में 20 मार्च 1992 को 'द भोपाल हॉस्पिटल ट्रस्ट" की स्थापना की। इस चैरिटेबल ट्रस्ट के एकमात्र ट्रस्टी सर इयान पर्सीवल थे। मप्र सरकार ने अस्पताल निर्माण के लिए ट्रस्ट को लगभग 80 एकड़ जमीन मुफ्त प्रदान की। सर पर्सीवल की मृत्यु के बाद 1998 में 'द भोपाल मेमोरियरल हॉस्पिटल ट्रस्ट" की स्थापना की गई। ट्रस्ट ने छह अस्पताल सहित कम से कम 32 स्वास्थ्य केंद्र स्थापित किए थे। इस अस्पताल का संचालन जुलाई 2000 से शुरू हो गया था।
कौन हैं ट्रस्टी
सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व प्रधान न्यायाधीश जस्टिस एएम अहमदी ट्रस्ट के अध्यक्ष बनाए गए। पूर्व राज्यपाल मोहम्मद शफी कुरैशी को उपाध्यक्ष बनाया गया। ट्रस्ट में पूर्व राष्ट्रपति डॉ. शंकरदयाल शर्मा की पत्नी श्रीमती विमला शर्मा, लंदन के बैरिस्टर राबर्ट पर्सीवल, केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव, डीजी इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च, निदेशक पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च चंडीगढ़ प्रो. केके तलवार, मुख्य सचिव मप्र, आईडीबीआई के पूर्व अध्यक्ष एसएच खान शामिल किए गए। भोपाल के अधिवक्ता अजीज अहमद सिद्दीकी को वर्किंग ट्रस्टी बनाया गया। वर्किंग कमेटी में प्रमुख सचिव स्वास्थ्य मप्र , केन्द्रीय रसायन और पेट्रोकेमिकल्स विभाग के संयुक्त सचिव, डॉ संतोख सिंह पूर्व डीएमई मप्र, जीबी पंत अस्पताल नईदिल्ली के पूर्व निदेशक डॉ. एम खलीलुल्ला, भोपाल के चार्टर्ड अकाउंटेंट एसएल छाजेड़ और महिला चेतना मंच की उपाध्यक्ष सुश्री के. अरोन्देकर को शामिल किया गया।