Thursday, September 2, 2010

वे हाथ सूत कात रहे हैं...

~ श्री शोमित शर्मा के खींचे फोटो पर अपनी कविता ~

वे हाथ सूत कात रहे हैं...

सूत कातने वाले हाथ

घर सँवारते हैं

आँगन बुहारते हैं

रोटियाँ बेलते हैं ...

इन हाथों पर रचती है मेंहदी

इन हाथों पर चूडियाँ फबती है...

ये हैं तो दुनिया हसीं है

ये हैं तो खुशियाँ बची हैं

दुनिया बचाने वाले हाथ

सूत कात रहे हैं।