~ श्री अनिल गुलाटी के खींचे फोटो पर अपनी कविता ~
वह लिख रही है
'अ" अनार का।
कल वह लिखेगी
'उ" से उजास और
'व" से विकास।
आज उसकी आँखों में सपने हैं
कल हाथों में ताकत होगी
तब वह बदलेगी सूरत
तब दिन भी बहुरेंगे।