Thursday, December 24, 2009

।। भविष्यवाणी ।।

ज्योतिषी ने बाँच कर कुण्डली
बताया है, वक्त बुरा है।
ठीक नहीं है ग्रहों की चाल
अभी और गहराएगा संकट।
फले-फूलेगा भ्रष्‍टाचार

अपराध बढ़ेंगे
पाखण्ड का बोलबाला होगा
चालाकी होगी सफल
झूठ आगे रहेगा सच के
अच्छाई की राह में

अभी और काँटे हैं।

पंछी से आकाश और होगा दूर

खिलने से ज्यादा मुश्किल होगा
फूल का शाख पर टिके रहना।

नदियों में नहीं होगा पानी

हवा में घुलेगा जहर।
बच्चों को नहीं मिलेगा समय
कि तैरा पाएँ कागज की कश्‍ती
वे कहानियों की जगह

गुनेंगे सामान्य ज्ञान।
बाहर तो बाहर

घर में भी महफूज
नहीं रहेंगी बच्चियाँ।

बुजुर्गों का इम्तिहान
और कड़ा होगा।

बुरे वक्त में चाहें अनुष्ठान‍ न करवाना
दान-धर्म न हो तो

कोई बात नहीं

हो सके तो बचाना

अपने भीतर सपने
भले ही हों वे

आटे में नमक जितने।

मुश्किल घड़ी में जीना

सपनों के आसपास।
देखना फिर नक्षत्र बदलेंगे

बदलेगी ग्रहों की चाल।
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नव वर्ष पर शुभकामनाएँ

5 comments:

  1. मुश्किल घड़ी में जीना

    सपनों के आसपास।
    देखना फिर नक्षत्र बदलेंगे

    बदलेगी ग्रहों की चाल।

    -चलिये, यह आस दे गया..


    नया साल शुभ हो!!

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  2. सही कहा .. समय आने पर नक्षत्र तो बदल ही जाते हैं .. अच्‍छी रचना है !!

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  3. ईस्ट इंडिया कम्पनी की स्थापना के पहले,
    भारत का सर्वे किया जाना था,
    किस तरह से कम्पनी फ़ैलायेगी अपने पांव,
    भेजा गया जीनियस व्यक्ति,
    जो जानता था हिन्दी अंग्रेजी,
    घूमने लगा वह गाँव गाँव,
    देखा सभी रहते है एक जगह,
    खाते पीते है गाते बजाते है,
    पंचायत कर देती है न्याय,
    अक्षरों की पूजा की जाती है,
    संस्कृत की व्याख्या होती है,
    नही चल सकता कम्पनी का कार्य
    देदी जाकर उसने राय,
    संसद में बिटेन की चलने लगी सभा,
    कैसे किया जा सकता है भारत पर राज,
    भाषा को बदल दो आवाज को बदल दो,
    लोगों की तहजीब को बदल दो,
    घर आंगन के चौबारों को हटा दो,
    अंग्रेजी को फ़ैला दो,
    अंग्रेजी में खाया जाय,
    अंग्रेजी में सोया जाय,
    अंग्रेजी में रहा जाय,
    अंग्रेजी को सिर पर रखकर,
    सारी उम्र ढोया जाय,
    पहले मिशनरी आये,
    मुफ़्त में शिक्षा को देने का,
    उपाय करने लगे,
    कोई नही जाता था अंग्रेजी पढने को,
    लेकिन ढाई शताब्दी के अन्दर में,
    दो लाख डोनेशन देकर,
    मिशनरी स्कूल में बच्चे को भेजा जाता है,
    और वह जब नही रहता भारत के लायक,
    अमेरिका का टिकट कटाकर,
    आस्ट्रेलिया में रहने को,
    बीफ़ का आहार सुरा का पान,
    खुला सेक्स करने को,
    भारत का होनहार विरवा,
    रगड रगड मर जाता है.

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  4. ईस्ट इंडिया कम्पनी ने राज करने के लिये,
    सामंतो सरदारों को आपस में लडवाया था,
    गांधी जी ने अपने अनशन से लडकर,
    भारत से उन्हे भगाया था,
    लेकिन चूक गये वे महान भूल हो गयी उनसे,
    शेर के भेष में गीधड को ताज दे दिया,
    बाहर के राज को बदला तो लेकिन
    घर के अन्दर जाति को बदलने वाले,
    इन्सान को राज दे दिया,
    उसने सबसे पहले धर्म नाम से तोड दिया,
    हिन्दू मुस्लिम का अटल एकता कुंभ
    एक ही दिन में फ़ोड दिया,
    उसे पता था राज बदल गये,
    देश की आवाज बदल गये,
    अंग्रेजों की मेहरबानी से,
    देश का ताज बदल गये,
    पहले राज कराने के बदले,
    सामन्तों को तोडा जाता था,
    फ़ूट डाल कर जनता से ही,
    कम्पनी का धन जोडा जाता था,
    वह सामन्ती राज बदल कर,
    राजनीतिक पार्टी में बरकरार है,
    इंग्लेंड से आठ सौ किलोमीटर की दूरी,
    और वही ढंग जनता से बटोरने का,
    दूसरी विक्टोरिया की सरकार है,
    विदेशी क्म्पनी आज देश में,
    देश के नौजवान का खून चूस कर,
    नौकरी के नाम पर दासता करवातीं है,
    हर कोई कर्जाई है सम्पत्ति बैंक के नाम है,
    चैक की धारा एक सौ अडतीस में,
    जेल में सडवाती है,
    घर से निकलो लूटे जाते हो,
    उन की सरकार के डाकू मिलते हैं,
    करोडों की चाल फ़ेंक कर लेकर टिकट,
    सांसद मंत्री विधायक जनता के सेवक के नाम से,
    जनरल डायर की वही करतूत,
    रोजाना वे करते हैं,

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  5. नहर नाम से खेत लिया और शहर नाम से गांव,
    ट्रेक्टर से ली जमीन और मिटा दिया है नांव,
    पढा लिखा कर दी अन्ग्रेजी बना दिया है कंजर,
    खाद बनाकर अन्ग्रेजी की सबको कर दिया बंजर,
    रोजाना चोरी करने को लगा रहे है घात,
    कही किसी का पता नही है क्या है अपनी जात,
    दिन को सोना रात को जगना,सबका यही खुलासा है
    हकीकत की हकीकत है यारों का तमाशा है।

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