~ श्री राजू कुमार के फोटो पर अपनी कविता ~
माण्डू,
तुम रूपमती के रूप से सुंदर कहलाते हो।
तुम्हारे महल उतने ही ऊँचे हैं
जितना ऊँचा बाज बहादुर का प्यार था।
'रूपमती यहाँ से आती थी हाथी पर सवार हो।
जनाब, ये देखिए, यहीं से करती थी पूजा
देवी नर्मदा की।" जब कहता है गाइड
तो लगता है,
माण्डू के आँगन में धड़क रही है प्रेम गाथा।
बावरी हवा
इस कदर सुहानी लगती है
जैसे अभी-अभी रूपमती को छू कर आई हो।
इतिहास की धुंध तुम्हारा क्या बिगाड़ेगी माण्डू
दिन-महीने-साल गुजरते और जवान हो रही है
तुम्हारी आँगन की प्रेम कहानी।
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