Wednesday, December 29, 2010

मुझमें अटकी हैं आपकी साँसें

 पत्रकार साथी मोहम्मद फैजान के खींचे फोटो पर अपनी बात 

'मैं कभी भी गिर पडूँगा क्योंकि मेरे पैरों के नीचे की जमीन लगातार कम पड़ रही है। मुझे गिराने वाले हाथ तुम्हारे हैं और खतरा तुम पर भी है लेकिन तुम इस खतरे से अनजान हो। दुष्यंत के बोल में कहूँ तो -तुम्हारे पाँव के नीचे कोई जमीन नहीं/कमाल ये है कि फिर भी तुम्हें यकीन नहीं।"

भोपाल की कलियासोत नदी में खड़ा यह पेड़ अगर बोल सकता तो शायद यही कहता। संभव है वह ठहाके मार इंसान के स्वार्थ पर मखौल उड़ाता। आखिर हम से ज्यादा स्वार्थी कौन होगा जो थोड़े से मुनाफे की खातिर अपने जीवन सहायक तंत्र को ही खत्म करने पर तूला है? इंसान सियासी भी है और स्वार्थी भी, तभी तो जिससे प्यार जताता है उसकी को काटता है।

यकीन न आए तो केवल नर्मदा पाइप लाइन बिछाने के दौरान काटे गए पेड़ों का हिसाब देख लीजिए। जवाब मिलेगा- 11 सौ पेड़। बीआरटीएस के तहत सड़क चौड़ी करने के लिए 2 हजार 333 और बीना से भोपाल के बीच तीसरी रेल लाइन के लिए 20 हजार पेड़ काटे जाएँगे। नानके पेट्रोल पम्प के सामने बाजार बनाने के लिए 78 हरे वृक्षों को मार दिया गया है। इन में उन पेड़ों का हिसाब नहीं है जिन्हं आपका आशियाना बनाने या सजाने के लिए काटा गया।

आप जानते हैं, भोपाल की हरियाली खत्म हो रही है। यकीन न हो तो इस रविवार कोलार, हथाईखेड़ा डेम, रायसेन रोड, भदभदा रोड, लहारपुर, बैरागढ़ चिचली, गोरा, बरखेड़ी कलां, फतेहपुर डोबरा, नीलबड़, बोरवन, खजूरीकलां व आसपास घूम कर तो आईए, सब पता लग जाएगा। यहाँ कॉलोनियां और शिक्षण संस्थानों के भवन बन रहे हैं और इन्हें भू उपयोग परिवर्तन की अनुमति उसी संचालनालय नगर तथा ग्राम निवेश ने ही जो पुराने पड़ चुके नए मास्टर प्लान के मसौदे में इस भूमि को कृषि और हरी भूमि मान रहा है!

अगर यह पेड़ बोल सकता तो जरूर कहता-

'आप मुझे तो नहीं बचा सकते लेकिन उन पेड़ों को जरूर बचा लीजिए जो आपके शहर में हरदिन काटे जा रहे हैं। वे पेड़ जिन्हें आपके पुरखों ने रोपा था कि आपको शुद्ध वायु मिल सके। अगर अभी नहीं जागे तो आपके बच्चों को साँस लेने में तकलीफ होगी।"

2 comments:

  1. बहुत ही गम्‍भीर और जरूरी बात, बहुत ही कारुणिक शैली में। ऑंखों में अँगुलिया गडती हुई लगती हैं यह पोस्‍ट पढते-पढते। अपने आप पर झेंप आने लगती है।

    हमारे पुरखे हमें जो विरासत सौंप गए, उसे बढाना हमारी जिम्‍म्‍ेदारी थी। किन्‍तु हम न तो उसे सम्‍हाल पाए और न ही अपने पुरखों की तरह समृध्‍द विरासत अपने बच्‍चों को सौंप कर जा रहे हैं।

    दोनों के अपराधी हैं हम तो।

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  2. bahut hi vicharneey mudda uthaya hai. hame hariyali ke prati jagruk hona chaahiye. lekin prkriti bhi parivartanmay hai...aur parivartan sansaar ka niyam.privartan ke tahah hi unnatti aur pragati aur gati nirbhar karti hai. haan lekin hariyali ko bhi jitni koshish ho sake bachana chaahiye. acchhi prastuti.

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