अगर चाँद मर जाता
झर जाते तारे सब
क्या करते कविगण तब?
खोजते सौन्दर्य नया
देखते क्या दुनिया को
रहते क्या, रहते हैं
जैसे मनुष्य सब
क्या करते कविगण तब?
प्रेमियों का नया मान
उनका तन-मन होता
अथवा टकराते रहते वे सदा
चाँद से, तारों से, चातक से, चकोर से
कमल से, सागर से, सरिता से
सबसे
क्या करते कविगण तब?
आँसुओं में बूड़-बूड़
साँसों में उड़-उड़कर
मनमानी कर- धर के
क्या करते कविगण तब?
अगर चाँद मर जाता
झर जाते तारे सब
क्या करते कविगण तब?
- त्रिलोचन
झर जाते तारे सब
क्या करते कविगण तब?
खोजते सौन्दर्य नया
देखते क्या दुनिया को
रहते क्या, रहते हैं
जैसे मनुष्य सब
क्या करते कविगण तब?
प्रेमियों का नया मान
उनका तन-मन होता
अथवा टकराते रहते वे सदा
चाँद से, तारों से, चातक से, चकोर से
कमल से, सागर से, सरिता से
सबसे
क्या करते कविगण तब?
आँसुओं में बूड़-बूड़
साँसों में उड़-उड़कर
मनमानी कर- धर के
क्या करते कविगण तब?
अगर चाँद मर जाता
झर जाते तारे सब
क्या करते कविगण तब?
- त्रिलोचन
tab kavigan bache rahte kya ?
ReplyDeleteaur sabse badi baat aaj ka kavi aaj ki ho rahi halchal ko sahity ka roop deta hai.
त्रिलोचन...
ReplyDeleteवाह-वाह...बेहतरीन...