चार सौ साल पुराने क्रिकेट के उज्जवल इतिहास को कालिख से बचाने के लिए भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड को अब आईपीएल बंद कर देना चाहिए। बंद इसलिए होना चाहिए कि लोगों में क्रिकेट के प्रति फिर विश्वास पैदा हो। यह तय है कि आईपीएल जारी रहा तो लोगों का क्रिकेट में भरोसा नहीं रहेगा। देश की सवा सौ करोड़ जनता क्रिकेट को खेल की इबादत के रूप में सुनती और गुनती है। और एक तरह से इसे राष्ट्रीय खेल का दर्जा प्राप्त है। यदि आईपीएल चालू रहा तो देश में क्रिकेट के प्रति दीवानगी और कम हो जाएगी क्योंकि ग्लैमर के नाम पर इसमें वो सारे खेल चलते रहेंगे जिसके कारण क्रिकेट बदनाम हुआ है। यह विश्वास इसलिए गिरा है क्योंकि प्रतिबंधित दोनों टीमों में क्रिकेट के ऐसे दिग्गज खिलाड़ी शामिल हैं जो भारतीय टीम का नेतृत्व कर चुके हैं और जिनके कारण क्रिकेट को जाना जाता है। इन प्रतिष्ठित खिलाड़ियों की मौजूदगी भी यदि क्रिकेट की गरिमा नहीं बचा सकी तो आगे आईपीएल क्रिकेट का सम्मान कैसे बचा कर रख पाएगा, यह बड़ा सवाल है।
आइपीएल सट्टेबाजी प्रकरण में दोषी पाए गए बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष एन. ,श्रीनिवासन के दामाद गुरुनाथ मयप्पन पर आजीवन प्रतिबंध लगा दिया गया है। उसके साथ साथ राजस्थान रॉयल्स के सह मालिक और अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी के पति राज कुंद्रा पर भी आजीवन प्रतिबंध लगा है। जस्टिस लोढ़ा ने टिप्पणी की है कि मयप्पन चेन्नई सुपर किंग्स का हिस्सा थे। उन्होंने खेल के नियम तोड़े और वे सट्टेबाजी में भी शामिल थे. उनकी कारगुजारियों से बीसीसीआई और आईपीएल की छवि खराब हुई है। असल में यह प्रकरण ’जेंटलमेन गेम’ कहे जाने वाले क्रिकेट में राजनीति, उद्योग और सट्टेबाजी के गठजोड़ के दुष्परिणाम का सटिक उदाहरण हैं। इस ‘करतूत’ से क्रिकेट पर कालिख पुती है और अफसोस है कि इस क्रिकेट पर कालिख मलने में सभी के हाथ रंगे हैं, चाहे वह क्रिकेट संगठनों से जुड़े नेताओं के हाथ हों, खिलाड़ियों के हाथ हो या मैदान के बाहर बैठ कर गेम को संचालित करने वाले माफिया के हाथ हों। इस जुर्म में सभी शरीक हैं लेकिन नुकसान केवल क्रिकेट का हुआ है और दिल क्रिकेटप्रेमियों के टूटे हैं। क्रिकेट की इस बेकद्री के लिए इनमें से किसी को माफ नहीं किया जा सकता है। खेलप्रेमी की दीवानगी के आलम को इसी बात से समझा जा सकता है कि सचिन तेंदुलकर को ‘भगवान’ मानते हैं। वे सुनील गावस्कर, कपिल देव, रवि शस्त्री, सौरव गांगुली, राहुल द्रविड़, वीवीएस लक्ष्मण, विराट कोहली जैसे खिलाड़ियों में अपना आदर्श खोजते हैं। खिलाड़ियों और खेल को भगवान और धर्म का दर्जा देने वाली नई पीढ़ी को आईपीएल की सट्टेबाजी और ग्लैमर नष्ट कर रहा है।
क्रिकेट के चाहने वालों को तो मलाल इस बात का है कि राजनेता, उद्योगपति और सट्टेबाजों की तिकड़ी इस खेल को लील रही थी, अपने काबू में ले रही थी और खिलाड़ियों को मुर्गी मुकाबले की तरह लड़ा रही थी लेकिन सीनियर खिलाड़ी खामोश थे। वे सूबों, धड़ों और नेताओं में बंटे खिलाड़ी धन कुबेेरों की कठपुतलियां बने रहे। खेल संगठनों की कमान खिलाड़ियों के हाथ में होना चाहिए। यह आग्रह और मशविरा दर्जनों बार दिया गया लेकिन किसी के कान पर जूं तक नहीं रेंगी। कारण साफ है, विश्व का सबसे धनाढ्य खेल संगठन बीसीसीआई की कमान अपने हाथ में होने का अर्थ है, किसी बड़े कारपोरेट घराने को संचालित करना। इसी कारण से बीसीसीआई की लगाम खिलाड़ियों के हाथों से निकल कर श्रीनिवासन जैसे पूंजीपति के कब्जे में चली गई।
‘फेयर गेम’ के खिताब बना मजाक
इससे बड़ी विडम्बना क्या होगी कि आईपीएल के लगभग हर सीजन में फेयर गेम का खिताब जीतने वाली चैन्नई सुपर किंग और राजस्थान रॉयल्स की टीमें भी सट्टेबाजी में शामिल थीं, इसलिए चेन्नई सुपर किंग्स को आईपीएल से दो साल के लिए निलंबित किया गया। टीम पर दो साल का प्रतिबंध रहेगा। वहीं राजस्थान रॉयल्स की टीम पर भी दो साल का प्रतिबंध लगा दिया गया है। जानकारों ने आईपीएल के इस हश्र की घोषणा उसके निर्माण के समय ही कर दी थी। कहने को आईपीएल को उभरते हुए खिलाड़ियों का मंच देने का एक उपक्रम था लेकिन वास्तव में यह उद्योगपतियों और सेलिब्रेटी के लिए पैसे से पैसा बनाने का साधन था। नाइट पार्टीस, चीयर लीडर्स, शराब और सट्टा जैसे आईपीएल की पहचान बन गए हैं। यही कारण है कि क्रिकेटप्रेमियों को बहुत कम आश्चर्य हुआ जब सट्टेबाजी में मयप्पन और कुन्द्रा जैसे बड़े नाम आए।
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