Saturday, June 26, 2010

बेटा नहीं मौत लेने आई

बेटे के छल का सदमा झेल नहीं पाए 72 वर्षीय बुजुर्ग

भोपाल में 20 जून को फादर्स डे पर पिता के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की जा रही थी, आनंदधाम वृद्धाश्रम में मायूसी छाई थी। मायूसी की वजह बुजुर्गों के प्रति बेटों का अनादर नहीं बल्कि बीते पखवाड़े हुई एक बुजुर्ग की मौत है। दस साल से वृद्धाश्रम में रह रहे 72 वर्षीय दाते साहब को लेने बेटे को आना था लेकिन बेटे ने आने से इंकार किया तो वे सदमे में मौत के साथ चले गए।



पिता यानि जीवन का सहारा और बेटा बुढ़ापे का भरोसा। यह धारणा आधुनिक जीवन में बार-बार टूट रही है। इस बार इस धारणा के टूटने का गवाह बना आनंदधाम वृद्धाश्रम। फादर्स-डे के दिन आमतौर पर यहाँ के सहायक और संचालक बुजुर्गों को अकेलापन महसूस नहीं होने देते। इस दिन को खास बनाने के लिए कुछ विशेष रचा जाता है, लेकिन इस बार यहाँ विशेष में भी जोश और उत्साह नहीं था। चाह कर भी बुजुर्ग अपने साथी दाते साहब को नहीं भुला पा रहे थे, वहीं दाते साहब जो अपने बेटे द्वारा छले गए थे। यहाँ की देखरेख करने वाली माधुरी मिश्रा बताती हैं कि दाते साहब करीब दस साल से यहाँ रह रहे थे। पिछले महीने उनकी बेटी ने पटना में रहने वाले अपने भाई पर दबाव बनाया कि वह पिता को अपने साथ ले जाए। बहन के दबाव और जिद ने भाई को झुकने पर मजबूर कर दिया। पिता को भी बेटी ने ही जाने के लिए तैयार किया। आखिर बेटे ने दाते साहब को ले जाने के लिए सहमति दे दी। दाते साहब ने खुशी-खुशी बेटे के पास जाने की तैयारी की थी। वृद्धाश्रम में उनके जाने का गम तो था लेकिन खुशी थी कि वे दस सालों बाद अपने परिवार के पास जा रहे थे। तय कार्यक्रम के अनुसार पिछले हफ्ते उनके जाने का दिन आ गया। सारी तैयारी हो चुकी थी, सामान पैक था। काफी इंतजार के बाद बेटा नहीं आया तो पड़ताल की गई। सुश्री मिश्रा ने बताया कि बेटे ने आने में असमर्थता जता दी। बेटे का यह विश्वासघात दाते साहब झेल नहीं पाए। उन्हें इतनी निराशा हुई कि वे खामोश हो गए। इस गहरे सदमे में उन्हें हार्ट अटैक हुआ और वे दुनिया से कूच कर गए।

बेटे के छल से उनके साथी नाराज हैं। वे कहते हैं कि जब नहीं ले जाना था तो वादा क्यों किया? दस सालों से वृद्धाश्रम में रह रहे थे। उनके इस परिवार को अभी उनकी और जरूरत थी।

2 comments:

  1. परिस्थितियां गज़ब का पराभव कर रही हैं...इंसान अपने होने से भी महरूम होता जा रहा है...

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  2. इस समय कि सबसे बडी त्रासदी है ये घटना किन मुल्यो पर हम रह रहे है ये शोचनीय है ...

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