Friday, August 13, 2010

इन पर कर सकते हैं भरोसा














पिछले साल गुना जिले के 20 गाँवों में एक दस्तक हुई थी। इसने ग्रामीणों को स्वच्छता का पाठ पढ़ाया था। इस साल से प्रदेश के 200 गाँवों में स्काउट और गाइड जाकर कहेंगे-'साफ हाथों में दम है।" सफाई का महत्व बताने और प्रेरित करने के लिए ये नाटक, गीत, सभा और हठ तक का सहारा लेंगे। ये गाँव का नक्शा बनाकर बताएँगे कि गंदगी फैलने के क्या नुकसान हैं और इस समस्या से कैसे निपटा जा सकता है।
गुना के रेडक्रास भवन में जारी स्काउट-गाइड शिविर में स्कूली विद्यार्थी सेवा का पाठ नहीं पढ़ रहे बल्कि बदलाव की भूमिका तैयार कर रहे हैं। इन्हीं की तरह प्रशिक्षण लेकर निकले विद्यार्थियों ने साबित कर दिया है कि बदलाव की चाबी युवाओं के हाथों में हैं। यहाँ लगाए गए शिविरों में स्काउट-गाइड ने जीवन शिक्षा से जीवन रक्षा के सूत्र सीखे हैं और गाँवों में जाकर लोगों को सिखाया है कि भोजन से पहले और शौच के बाद साबुन से हाथ धोएँगे। खुले में शौच की प्रवृत्ति छोड़ेंगे। इन बच्चों के पास सफलता की कहानियाँ भी है और चुनौतियों से निपटने की तैयारी भी। आरोन गाँव के नरेश सेन और आयुष जैन ने अपने पूरे कस्बे का नक्शा बना लिया है। वे आरोन में घर-घर जाकर दस्तक देंगे और लोगों को बताएँगे कि डायरिया से बच्चों की मौत और बार-बार बीमार होने की बड़ी वजह गंदगी है। वे इस तैयारी में हैं कि सीएमओ को विकल्प बताएँ और समाधान न होने पर दबाव बनाएँ।

स्कूल में पानी और साबुन जुटाया:
शिविर संचालक रोवर सुखदेव सिंह चौहान बताते हैं कि स्काउट-गाइड शिविर से स्वच्छता, व्यक्तिगत सफाई के पाठ सीख कर जाता है और पहले अपने स्कूल के साथियों को तैयार करता है ताकि उनकी बात घर-घर तक पहुँचे। इसका परिणाम यह हुआ कि बच्चों की जिद के आगे बुजुर्गों को अपनी आदतें बदलना पड़ीं। जीवन शिक्षा से 'जीवन रक्षा अभियान" के 'जीवन मित्र" बने विद्यार्थिंयों ने हर समस्या का समाधान  खोजा है। मसलन, मध्याह्न भोजन के पहले हाथ धोना जरूरी है लेकिन स्कूल साबुन नहीं जुटा सकता तो विद्यार्थी खुद घर से साबुन लेकर आए। जिन स्कूलों में पानी की व्यवस्था नहीं थी, वहाँ बच्चे अपने साथ पानी की बोतल भी लाए।

छात्रवृत्ति से बनाएगा शौचालय:
इन जीवन मित्रों के साथ बैठो तो सफलता की कई कहानियाँ सुनाई पड़ती है। मसलन, पिछले शिविर में शामिल हुआ कक्षा सातवीं का छात्र सुनील कुमार इस कदर प्रभावित हुआ कि उसने अपने घर में अपनी छात्रवृत्ति के पैसे से शौचालय बनवाने का संकल्प ले लिया। वरिष्ठ शिक्षिका प्रभा भावे बताती हैं कि बच्चे बड़ा बदलाव लाने में समर्थ हुए हैं। वे केवल बड़ों को कोरा पाठ नहीं पढ़ाते बल्कि पहले समाधान  देते हैं, इसलिए इनकी सुनी जाती है।

10 जिलों में होगा विस्तार :
गुना में मिली इस सफलता को देखते हुए इस सत्र से प्रदेश के 10 जिलों के 20 स्कूलों के स्काउट-गाइड को जीवन मित्र बनाया जाएगा। ये गाँवों में घर-घर जाकर बदलाव की दस्तक देंगे।

1 comment:

  1. कलाम साहब सही कहते हैं। भारत बीसवीं सदी में महाशक्ति बन सकता है। पर अगर उनके साथ ही देश के आधे संस्थान औऱ एक तिहाई आबादी भी ईमानदारी से लग जाती तो कोई बात नहीं थी। खैर बदलाव होगा मुझे पूरा विश्वास है। साधुवाद इस पोस्ट के लिए।

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