।। हकीकत ।।
वे सख्त होते हैं
थोड़े बदमिजाज भी
छोटे-छोटे प्यारे बच्चों
से बेरहमी से पेश आते हैं ।
स्कूल बस या आटो रिक्शा
चालकों के बारे में
यही धारणा थी मेरी ।
पर, उस दिन
जावरा फाटक की बन्द
रेल्वे क्रासिंग पर क्या देखता हूँ-
एक स्कूली रिक्शा का चालक
बच्चों की फरमाइश पूरी कर रहा है ।
पास बैठी महिला से
जाम या बेर खरीद कर
बच्चों को खिला रहा है ।
कई बार अपनी मान्यताओं
और सुनी गई बातों के विपरीत
हकीकत यूँ आ धमकती है
और हमें करना ही
होता है यकीं।
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अपने काव्य संग्रह ‘सपनों के आसपास’ से
hi!!!!!
ReplyDeleteit feels good to see u in this platform, but i think being a journalist (as u mention in ur occupation) people will love read some thing contemprary from ur side. so be readable for all community nt only for 'sahitya' lovers. just a suggestion nothing else.
bahut hi sundar likha :-)
ReplyDeleteNew post - एहसास अनजाना सा.....
indeed, your word's are so nice. so, I'm going to publish it, in Dainik prasaran, ratlam.
ReplyDeletekindly, send me your postal address to my mail, so, copy may bo sent by post.
my mail is- pan_vya@yahoo.co.in
thanks
pankaj vyas