Saturday, October 26, 2013

राहुल गांधी के बयान पर ये सोचिए

कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने जो कहा उस पर जमकर सियासत हो  रही है। राहुल ने  इंदौर की सभा में मुजफ्फरनगर में हुए दंगों के लिए सीधे तौर पर भाजपा को जिम्मेदार बताया था। राहुल ने कहा था कि खुफिया विभाग के एक अधिकारी ने बताया है कि भाजपा ने मुजफ्फरनगर में आग लगाई और अब आईएसआई पीड़ित युवकों से संपर्क कर उन्हें भड़का रही है। राहुल गांधी ने सियासी सभा में यह बयान दिया था और यह मानना कि विपक्ष उनके बयाने पर आपत्ति नहीं करेगा नासमझी होगी। फिर अगर यह बयान मुस्लमानों से जुड़ा हो तो उस पर कोहराम मचना तय है। भाजपा के साथ सपा ने भी राहुल को इस बयान के लिए आड़े हाथों लिया है और वे माफी की मांग कर रहे हैं। यह चुनावी मौसम है और सभी दल अपने वोट बैंक को सुरक्षित करने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं। राहुल गांधी की इस टिप्पणी को केवल चुनावी भाषण मान कर भुलाया नहीं जा सकता क्योंकि उन्होंने एक ऐसे मसले  का जिक्र किया है जो विभाजन के बाद से अब तक करोड़ों लोगों को प्रभावित कर रहा है। राहुल गांधी अपनी पार्टी के महत्वपूर्ण पद पर हैं और  उनकी मंशा के अनुरूप की कांग्रेस की रीतियां-नीतियां निर्धारित की जा रही हैं। उनकी छवि ऐसे नेता कि है जो आम आदमी और युवाओं के बारे में सोचता है। इसलिए अगर वे कुछ कह रहे हैं तो उसे हल्के में नहीं लिया जा सकता। मुजफ्फरनगर के दंगों में आईएसआई कनेक्शन की बात अब तक न तो उत्तर  प्रदेश सरकार ने कही है, न ही केंद्र सरकार या उसकी किसी जांच एजेंसी ने ही ऐसा कोई उल्लेख किया है। ऐसे में राहुल का सार्वजनिक रूप से ऐसा कहना हमारे सुरक्षा तंत्र  की कमजोरी की ओर इशारा करता है। इतनी ही गंभीर बात दंगा पीड़ितों के नजरिए की भी है। आईएसआई के संपर्क में होने के आरोप के कारण मुजफ्फरनगर के दंगा पीड़ितों को अविश्वास की दृष्टि से देखा जा सकता है। यह माना जाएगा कि राष्ट्र विरोधी तत्व उन्हें बहला फुसला कर अपनी साजिशों को पूरा करने में उनका इस्तेमाल कर सकते हैं। दंगा पीड़ितों के मन पहले ही आहत हैं और अगर उन्हें अपने ही देश में संदिग्ध माना जाएगा और पर्याप्त राहत नहीं मिलेगी तो देश में फूट डालने वालों के मंसूबे कामयाब ही होंगे। कांग्रेस का कहना है कि राहुल गांधी के बयान की यही मंशा थी। अगर यह बात सही भी है तो सत्तारूढ़ पार्टी के उपाध्यक्ष राहुल गांधी को बजरिए  सरकार उन खामियों को दूर करने के प्रयास करना चाहिए जिनका लाभ उठा कर विघटनकारी ताकतें अपना हित साध लेती हैं। ऐसी ताकतों को मुंह तोड़ जवाब मिलना जरूरी है। हम जम्मू-कश्मीर में अलगाववादी ताकतों के घातक इरादों को सफल होता देख चुके हैं। वहां अभी भी हालात सामान्य नहीं हैं। ऐसे में राहुल को मिली सूचना के केवल राजनीतिक पहलुओं को ही न टटोला जाए बल्कि उसके हर आयाम पर समग्रता से ध्यान दिया जाना चाहिए।  इतनी ही बड़ी आवश्यकता इस बात की भी है कि केवल इस कारण मुजफ्फरनगर और पूरे देश के मुसलमानों की निष्ठा पर संदेह न किया जाए और केवल इस बात से उनके साथ व्यवहारगत भेदभाव न हो कि वे आईएसआई के लिए ‘साफ्ट टारगेट’ हैं।  ऐसा होता है तो यह देश की एकता पर खतरा होगा।

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